हिन्दी समाचार : धरमजयगढ़
भारत सरकार के कोल माइंस कंपनी का उपक्रम जो आज सरकार के नवरत्न कंपनी में से एक दक्षिण पूर्वी कोल माइंस जो ओडिशा के कुछ क्षेत्र तथा छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश के सिंगरौली तक 87 खदाने संचालित है जिसमें 5/6 खदान के लिए इन्हें भूमि आबंटन किया जा चुका है जिसका कार्य प्रगति पर है तथा भारत में सबसे ज्यादा कोल इसी कंपनी के द्वारा किया जाता है और सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में इसका दोहन कर बिजली और अन्य उत्पादन के माध्यमों से हमारी जरूरतों को पूरा करती है कंपनी को एक खदान रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ तहसील में कोयला उत्खनन करने भूमि आबंटित किया गया है और लगभग पिछले दस वर्षों से मुआवजे की विसंगति के कारण स्थानीय लोगों के विरोध करने तथा भूमि नहीं देने पर कोयला उत्खनन कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है। SECL दक्षिण पूर्वी कोल माइंस दुर्गापुर || खदान के लिए कंपनी के द्वारा विधानुरूप प्रदत्त 4414 एकड़ भूमि कोयला धारक क्षेत्र अर्जन एवं विकास अधिनियम 1957 के तहत धारा 4 – 1 एस ओ नं. 355 दिनांक 5/2/2014 धारा 7 – 1 एस ओ नं. 345 E दिनांक 4/2/2015 धारा 9 – 1 एस ओ नं. 328 E दिनांक 9/11/2015 तथा धारा 11 – 1 एस ओ नं.366 E दिनांक 4/2/2016 को भारत के राजपत्र में प्रकाशन हुआ कम्पनी के विरोध में आपत्ति ना होने के कारण धारा 11 – 1 के अनुसार कोल कमानी को भूमि से संपूर्ण अधिकार अर्जित कर लिया गया है अधिग्रहीत भूमि पर कोल कंपनी द्वारा नियमों के तहत आगे की कार्यवाही किए जाने पर पिछ्ले कई वर्षों से स्थानीय किसानों (भूमि मालिकों) द्वाराकोल कंपनी का विरोध किया जा रहा है जिससे कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाली आगे की गतिविधियां रुक गई है क्योंकि कंपनी के पास पहले से 87 खदाने संचालित है कंपनी के कर्मचारियों द्वारा नियमों के तहत मुआवजाआर एंड आर नियमों के तहत पुनर्वास की बात पहले से अभी तक कर रहे हैं परंतु पिछले दस वर्षों से भूमि पर से सभी अधिकार कोल कंपनी पा लेने के वावजूद किसको लाभ प्राप्त हो रहा है सोचने समझने की बात है,कोल कंपनी सरकार की है और सरकार के निर्देश आदेश तथा नियमों के तहत कार्य करेंगे और विरोध की स्थिति में कोयला उत्खनन का कार्य कई वर्ष और पीछे खिसक सकता है नियमानुसार अभी प्रति व्यक्ति दो एकड़ में मुआवजे के साथ एक नौकरी तथा साथ साथ परिवार को मेडिकल सुविधा बच्चों की मुफ्त शिक्षा और वर्तमान में 12 वें वेतन आयोग होने वाला है वर्ग डि कर्मचारियों को वेतन पहले दो वर्ष 45 हजार रुपए से प्रारंभ योग्यतानुसार फिर पद का आबंटन सी वर्ग को प्रतिमाह कम से कम 1.50 लाख से दो लाख माह, बोनस,एरियर्स,वार्षिक टूर के साथ साथ अन्य कई सुविधाएं प्रदान की जाती है यदि 2016 में भूमि अधिग्रहण कर खदान प्रारंभ करने व 2018 में रोजगार पाने पर दो एकड़ वाला व्यक्ति आज आठ वर्षों में न्यूनतम 1.20 लाख रुपए वेतन के रूप में प्राप्त कर सकता था लेकिन मुआवजा और पुनर्वास की बातें कर कुछ अवैधानिक लोग किसानों को बरगला कर प्रोजेक्ट को पीछे करते हुए अपने स्वार्थ की पूर्ति मैंलेज हुए है.चूंकि कोल कंपनी को शायद यहां का खदान खुलाने में दिलचस्पी नहीं है क्योंकि पहला अपना वेतन उनको प्रतिमाह मिल था है दूसरा उनकी कई खदान पहले से चालू है तीसरा इन्हें कई नई खदान खोले जाने के लिए खदान आबंटित किया जा चुका है एवं इन कर्मचारियों को मान सम्मान गंवाना नहीं है साथ ही भारत सरकार के कर्मचारी है खदान खुले या ना खुले इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता वरन क्षेत्र के भूमिधारकों को मानसिक तैयार होना है ना कि दलालों के चक्कर में आना है बल्कि अपने युवाओं के प्रति रोजगार को लेकर सोचना है क्योंकि भूमि के खसरा बीवन पर भू अर्जन लिखा गया है तथा धारा 9 – 1 के बाद भूमि पर किया गया समस्त डायवर्शन परिसंपत्तियो का निर्माण किया जाना अवैधानिक है और खदान ना खोले जाने तक भू अर्जन अंकित रहेगा !










